तेरे प्यार में रुसवा होकर जाए कहाँ दीवाने लोग
जाने क्या क्या पूछ रहें हैं ये जाने पहचाने लोग
जैसे तुम्हें हमने चाहा था कौन भला यूँ चाहेगा
माना और बहुत आएँगे तुम से प्यार जताने लोग
कैसे दुखों के मौसम आए कैसी आग लगी यारो
अब सहराओं से लाते हैं फूलों के नज़राने लोग
कल मातम बेक़ीमत होगा आज इनकी तौक़ीर करो
देखो खून-ए-जिगर से क्या क्या लिखते हैं अफ़साने लोग
[तौक़ीर= आदर]
जानते हैं ये इश्क़ मुसलसल रोग है आह-ओ-ज़ारी का
फिर भी उसके कुचे में जाते हैं उम्र गवाने लोग
-ओबैदुल्लाह अलीम